जन्माष्टमी त्योहार को पूरे देश मे धूम धाम से मनाया जाता है. इस मौके पर दही हांडी उत्सव भी सेलिब्रेट किया जाता है. ये सेलिब्रेशन भगवान के जन्म की खुशियां मनाने के लिए किया जाता है. इस साल कोरोना काल में लोग इस दही हांडी का आयोजन नहीं कर पाएंगे. लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिर जन्माष्टमी के दिन ही दही हांडी क्यो फोड़ते हैं.
दरअसल, शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण को दही और मक्खन बेहद प्रिय था. वो अक्सर गोपियों की मटकियों से मक्शन चुराकर खाया करते थे. कान्हा की इस हरकत से परेशान होकर गोपियां अक्सर उनकी शिकायत यशोदा मईया से कर देती थी. लेकिन मईया यशोदा के लाख समझाने के बाद भी इसका कोई भी असर कान्हा पर नहीं होता था.
कहा जाता है कि श्री कृष्णा से अपना दही बचाने के लिए गोपियां अपनी मटकी ऊंचाई पर टांग देती थीं. लेकिन कान्हा किसी किसी तरह से मटकी से दही और मक्खन चुरा लेते थे. श्री कृष्ण को गोपियां माखन चोर के नाम से भी बुलाती थी. भगवान कृष्ण की इन्हीं लीलाओं को याद करने के लिए दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है. इस विधि से करें पूजा-
श्री कृष्ण के व्रत वाले दिन सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं के तरफ उत्तर मुख करके बैठें. हाथ में जल, फल और पुष्प को लेकर संकल्प करके मध्यान्ह के वक्त काले तिलों के जल स्नान करने के लिए देवकी माता के लिए प्रसूति गृह बनाएं. इसके बाद सुतिका गृह में बुछौने को बिछाकर उस पर कलश की स्थापना करें.
इसके बाद आप देवकी माता की स्तनपान कराती हुए किसी चित्र की स्थापना करें. इस पूजा में देवकी, वासुदेव, बलराम, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम लेते हुए पूजा करें.ये व्रत रात के 12 बजे खोला जाता है.इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पूजा का समय-12:05 AM से 12:47 AM है. पूजा करने की अवधि 43 मिनट्स ही है.
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