Wednesday, April 24, 2024
HomeTrending Nowवर्ल्ड हैरिटेज डे : चमोली के लाल सांगा पुल जैसे ऐतिहासिक धरोहर...

वर्ल्ड हैरिटेज डे : चमोली के लाल सांगा पुल जैसे ऐतिहासिक धरोहर के अवशेषों को बचाने की सार्थक पहल 

उत्तराखण्ड के सीमांत जनपद चमोली के मुख्य कस्बे चमोली से गोपेश्वर जाते हुए मोटर पुल के दाईं ओर 1911 में अंग्रेजों द्वारा अलकनन्दा नदी पर बनाये गये पुराने पैदल पुल के खंडहरों और शानदार कटवा पत्थरों से निर्मित स्थापत्य कला के नमूने के रूप में बनाये गये पैदल पुल जिसे पहले लाल सांगा कहते थे के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं, इन ऐतिहासिक धरोहरों को हैरिटेज साइड घोषित करने हेतु “आगाज फाउंडेशन के जे. पी. मैठाणी” ने स्थानीय विधायक महेन्द्र भट्ट  को पत्र प्रेषित कर अपनी सार्थक पहल की है |”May be an image of text
May be an image of outdoors and brick wall
   विश्व हैरिटेज दिवस है। इस दिवस को मनाये जाने की पहल 18 अप्रैल 1982 में अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद द्वारा ऐतिहासिक महत्व के धरोहरों के संरक्षण तथा प्रोत्साहन के लिए किया गया था। इस दिवस को दुनिया भर में पुरानी सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहर जैसे- स्मारक, भवन, स्थापत्य कला, महत्वपूर्ण मानव निर्मित संरचनाओं के साथ-साथ पुराने पुरातत्विक महत्व के निर्माण कार्यों के लिए मनाया जाता है। May be an image of outdoors and brick wall
आज हम आपको उत्तराखण्ड के सीमांत जनपद चमोली के मुख्य कस्बे चमोली से गोपेश्वर जाते हुए मोटर पुल के दाईं ओर 1911 में अंग्रेजों द्वारा अलकनन्दा नदी पर बनाये गये पुराने पैदल पुल के खंडहरों और शानदार कटवा पत्थरों से निर्मित स्थापत्य कला के नमूने के रूप में बनाये गये पैदल पुल जिसे पहले लाल सांगा कहते थे के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं। हालांकि वर्तमान में सिर्फ इसके अवशेष बाकि हैं और इसके आसपास अतिक्रमण जारी है। अलकनन्दा नदी पर बने इस पुल के पिलर दोनों तरफ आज भी खड़े हैं जो इसके शानदार स्थापत्य कला के गवाह हैं। 28 मार्च 1999 को चमोली में आए भूकम्प से भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। ये चमोली की महत्वपूर्ण हैरिटेज साइट है, जो जिला मुख्यालय और पर्यटन विभाग के मुख्य भवन से मात्र 9 किमी0 की दूरी पर है। लेकिन इस हैरिटेज साइट की सुध लेने वाला कोई नहीं है। इसको संरक्षित किया जाना अति आवश्यक है। May be an image of motorcycle and road
आयरलैण्ड के महान इतिहासकार और विद्वान एडविन थाॅमस एटकिन्सन ने ‘द हिमालयन गजेटियर‘ में जिसका प्रथम संस्करण 1884 में छपा था में भी चमोली के इस स्थान पर 110 फीट लम्बे स्पान वाले लोहे के पुल के बारे में लिखा है। लेकिन लेखक द्वारा जब इसका दस्तावेज़ीकरण किया गया तो पुल के पिलर पर 1911 अंकित है। एटकिन्सन ने चमोली के बारे में लिखा है चमोली एक छोटा सा बाजार है यह अलकनन्दा के बायें तट पर श्रीनगर से नीति की ओर जाती हुई सड़क के बायें ओर गढ़वाल की तल्ला दशोली पट्टी में स्थित है।May be an image of outdoors and tree चमोली की नंदप्रयाग से दूरी 7 मील बताई गयी है। उस समय भी एटकिन्सन द्वारा चमोली में रेस्ट हाउस और कई धर्मशालाओं के स्थित होने का जिक्र किया है। उन्होंने यह भी लिखा है कि जाड़ों में भोटिया समुदाय के बच्चों की पढ़ाई के लिए यहाँ पर स्कूल है। यहीं पर एटकिन्सन 110 फीट स्पान के पुल के बारे में जिक्र करते हैं। केदारनाथ से ऊखीमठ, चोपता, मंडल, गोपेश्वर का यात्रा मार्ग चमोली में मिलता है। May be an image of brick wall, outdoors and monument
लेखक ने 28 मार्च 1999 के चमोली भूकम्प के बाद इस पुल के जो छायाचित्र वर्ष 2018 में लिए हैं वो लेख के साथ प्रदर्शित हैं। ऐसा बताया जाता है कि गौणा ताल बेलाकूची की बाढ़ से चमोली में बेहद नुकसान हुआ था। इसलिए बाद में गोपेश्वर को विकसित किया गया। लेखक बताते हैं कि चमोली के कई दस्तावेज़ों में चमोली के इस पुल को लाल सांगा भी कहा जाता रहा है। (सांगा का अर्थ पुल होता है।) लेकिन एटकिन्सन ने जिक्र किया है सन् 1868 की गुड्यार ताल की बाढ़ से चमोली का पुल बह गया था।  यहाँ यह शोध का विषय है कि वर्तमान में चमोली में अलकनन्दा के दोनों तट पर स्थित पुल के अवशेष पुराने समय में चमोली के इस पुल को पार कर तीर्थयात्री एवं पर्यटक मठ, छिनका, बाऊंला, सियासैण, हाट होते हुए पीपलकोटी पहुँचते थे। यहाँ यह पैदल चट्टी मार्ग अलकनन्दा के दायीं ओर चलता था जबकि वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग या आॅल वैदर रोड अलकनन्दा के बायें तरफ से भीमतला, छिनका, बिरही, कौड़िया, मायापुर होते हुए पीपलकोटी पहुंचती है।
आज वर्ल्ड हैरिटेज डे के अवसर पर जनपद चमोली के इस ऐतिहासिक धरोहर के अवशेषों को बचाये जाने की पहल की जानी चाहिए। जिससे चमोली से पीपलकोटी के बीच नेचर ट्रेल को विकसित कर साइकलिंग, साहसिक खेलकूद, छोटी मैराथन आदि का आयोजन कर क्षेत्र में पर्यटन तीर्थाटन को बढ़ाया जा सके। कोविड 19 के दौर में जहाँ बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के आवाजाही ना होने की वजह से हजारों व्यवसायियों को आर्थिक नुकसान हो रहा हैं वहीं ऐसे समय में स्थानीय स्तर पर हैरिटेज टूरिज़्म को स्थानीय जन समुदाय, पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, स्थानीय ग्राम पंचायतों के आपसी तालमेल से बढ़ाया जा सकता है। जनपद चमोली में ऐसे अनेक अनाम हैरिटेज साइट्स विद्यमान है।
May be an image of road
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments