Thursday, April 25, 2024
HomeTrending Nowउत्तराखण्ड़ सरकार भू-माफियाओं के हाथ की कठपुतली बनी : गरिमा...

उत्तराखण्ड़ सरकार भू-माफियाओं के हाथ की कठपुतली बनी : गरिमा दसौनी

देहरादून, उत्तराखण्ड कांगे्रस की नेत्री श्रीमती गरिमा महरा दसौनी ने त्रिवेन्द्र सरकार पर उत्तराखण्ड की भोलीभाली जनता को ठगने का आरोप लगाया है। श्रीमती दसौनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले दिनों बद्रीनाथ केदारनाथ आये थे और इसी दौरान उत्तराखण्ड सरकार ने जनता की आंखों में धूल झोंकते हुए बद्रीनाथ हैलीपैड़ के बगल में 20 नाली भूमि उत्तर प्रदेश के पर्यटन गृह के निर्माण हेतु दे दी। हद तो तब हो गई जब इस पर्यटन गृह के शीलान्यास के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच परिसम्पत्तियों के सारे विवाद निपटा लिये गये हैं। हैरतअंगेज बात यह है कि उस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत भी वहाॅ मौजूद थ,े योगी आदित्यनाथ के इतने बड़े झूठ पर भी वह मौन धारण कर आपत्ति तक दर्ज नही करा पाये। जबकि असलियत यह है कि उत्तर प्रदेश का उत्तराखण्ड के सिंचाई विभाग के 13 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि एवं 4 हजार से अधिक भवनों पर कब्जा है।

हरिद्वार का कुंभ मेला क्षेत्र जहाॅ कावड़ मेला लगता है वहाॅ की 697.05 हेक्टेयर मेला भूमि पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का कब्जा है जिसे लौटाने पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग साफ इंकार कर चुका है। उत्तराखण्ड की आवास-विकास की भूमि को लौटाने के बजाय उत्तर प्रदेश खुद उस भूमि का मालिक बने रहना चाहता है। दसौनी ने कहा कि हरिद्वार का भीमगौड़ा बैराज, बनबसा का लोहिया हेड बैराज, कालागढ़ का रामगंगा बैराज अभी भी उत्तर प्रदेश के कब्जे में है। टिहरी डैम के जिस हिस्से का मालिक उत्तराखण्ड को होने चाहिए था उत्तर प्रदेश अभी भी उसका मालिक बना हुआ है

और करीब 1 हजार करोड़ सालाना राजस्व ले रहा है। इतना ही नही 11 विभागों की भूमि, भवन तथा उत्तराखण्ड की सीमा के अन्दर कई अन्य परिसम्पत्तियों पर उत्तर प्रदेश का कब्जा है। इतना ही नही उत्तराखण्ड परिवहन विभाग की 7 सौ करोड़ की देनदारी उत्तर प्रदेश पर है जिस कारण उत्तराखण्ड परिवहन विभाग गर्त में जा चुका है और भारी कर्जे में है। आज अपने कर्मचारियोें की तन्खाह नही दे पा रहा है तथा अपनी सम्पत्तियां बेचने को मजबूर हो रहा है। दसौनी ने उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार के रवैये को देखते हुए लगता है कि उसने उत्तराखण्ड को भू माफियाआंे के तहत गिरवी रखने की कसम खाई है। पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा बाहरी लोगों के जमीन खरीद पर जो रोक लगाई गई थी उस कानून पर ़ित्रवेन्द्र सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही ढिलाई कर दी।

सच्चाई यह है कि त्रिवेन्द्र सरकार ने भू कानून में संशोधन करके जमीन की खरीद फरोक्त पर लगी बंदीशें हटाकर पहाडियों की जमीन हडपने की खूली छूट दे दी है। यही नही धारा 143 के तहत कृषि भूमि का भू उपयोग को बदलने की जो बंदिशें थी उन्हें भी समाप्त कर दिया गया है। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के साथ ही हैलीपेड़ के नजदीक प्राईम लोकेरूशन पर 6 नाली स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने और 6 नाली राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने खरीद ली। इससे साफ पता चलता है कि त्रिवेन्द्र सरकार का पूरा फोकस विकास पर ना होकर उत्तराखण्ड की भूमि पर है। गरिमा दसौनी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने कार्यकाल में ना सिर्फ उत्तराखण्ड सरकार ने भू माफियाओं को संरक्षण दिया है बल्कि सही मायने में कहा जाय तो सरकार उनके हाथों की कठपुली बन गई है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments