नई दुनिया (रायपुर) [संदीप तिवारी]। पूरी दुनिया इस समय साइबर फ्राड (धोखाधड़ी) का शिकार हो रही है। यह एक ऐसी समस्या है जिसके कारण पढ़े लिखे लोग भी अपनी जीवनभर की कमाई गंवा रहे हैं। इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एनआइटी) रायपुर के पूर्व छात्र मयंक वर्मा द्वारा विकसित डाटा सिक्योरिटी प्रोग्राम को अमेरिका में पेंटेट कराया गया है।
उम्मीद की जा रही है कि यह पूरी दुनिया को साइबर ठगी से सुरक्षित करेगा। मूलत: मध्य प्रदेश के बालाघाट के रहने वाले मयंक वर्मा 2003 में रायपुर एनआइटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते समय ही डाटा सिक्योरिटी प्रोग्राम बनाने में जुट गए थे। लंदन में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी के दौरान टीम का नेतृत्व करते हुए साफ्टवेयर बनाने में सफलता हासिल की। ‘सिस्टम एंड मेथड्स फार आइडेंटिफाइंग एंड मिटिगेटिंग आउटलियर नेटवर्क एक्टिविटीज’ के नाम से विकसित इस प्रोग्राम को अमेरिका में अगस्त 2020 में पेटेंट कराया गया।
अमेरिका के पेटेंट एंड ट्रेडमार्क डिपार्टमेंट ने इसे विश्व का पहला और अपनी तरह का अनूठा अनुसंधान माना है। इस सफलता ने भारतीय बौद्धिक प्रतिभा को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय पहचान दी है। ऐसे बचाएगा फ्राड से इंजीनियर मयंक वर्मा के मुताबिक इस प्रोग्राम में ऐसे साइबर टूल्स डिजाइन किए गए हैं जो सर्वर में बाहरी व्यक्ति द्वारा साइबर फ्राड शुरू किए जाते ही उपभोक्ता को सतर्क कर देगा।
इससे सिस्टम के बाहर का कोई भी व्यक्ति डाटा में सेंधमारी नहीं कर सकेगा। वर्तमान में बैंकिंग, बीमा, इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड, क्रेडिट-डेबिट कार्ड जैसी सेवाएं समेत आनलाइन लेनदेन के दौरान लोगों को साइबर फ्राड का शिकार होना पड़ रहा है। यह सब काम सर्वर के जरिए होता है। सामान्य शब्दों में समझें तो जिस बैंक के सर्वर में इस साफ्टवेयर का प्रयोग होगा वहां कोई बाहरी नहीं घुस पाएगा।
युवा इंजीनियर मयंक वर्मा वर्तमान में गुरग्राम की कंपनी ‘अर्नेस्ट यंग’ के डायरेक्टर हैं। एनआइटी रायपुर के एलुमनी संघ के अध्यक्ष केडी दीवान ने इस सफलता को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से साझा करते हुए संस्थान के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।
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