Saturday, April 20, 2024
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महर्षि चरक की जन्म भूमि है चरेख डाँडा: आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार 17 अक्टूबर (कुल भूषण शर्मा) उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तत्वावधान तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से महर्षि चरक की जन्मस्थली, चरेख डाण्डा में औषधीय पौधों के अभिलेखिकरण, हर्बेरियम तैयार करने व शोध संबंधी कार्य प्रस्तावित हैं। यह कार्य अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान परिसर में होना है।

सम्पूर्ण कार्य के क्रियान्वयन व अग्रिम अवलोकन हेतु कल पतंजलि योगपीठ का 120 सदस्यीय दल चरेख डाण्डा पहुँचा। दल की अध्यक्षता पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने की।   आचार्य बालकृश्ण ने कहा कि यह भूमि आयुर्वेद के महान् वैज्ञानिक महर्षि चरक की है तथा यहाँ आकर मुझे महर्षि चरक की सूक्ष्म उपस्थिति की अनुभूति हुई gS । यहाँ से आयुर्वेद का वृहद् व व्यापक कार्य पतंजलि योगपीठ के माध्यम से किया जाना है। पतंजलि की भावी योजना में इस स्थान पर जड़ी-बूटियों रोपण, नर्सरी व ग्रीन हाऊस इत्यादि का निर्माण शामिल है।

आचार्य बालकृश्ण ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में आयुर्वेद का अकूत भण्डार है। यहाँ पाई जाने वाली विभिन्न औषधियाँ व जड़ी-बूटियाँ हैं अनेक रोगों को दूर करने में सक्षम हैं। आवश्यकता है इसकी पहचान, संरक्षण व इसे प्रसंस्कृत कर उपयोगी बनाने की। इससे न केवल आयुर्वेद को प्रामाणिक औषधि का दर्जा दिलाने में सहायता मिलेगी अपितु पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार का सृजन भी होगा। यहाँ औषधीय पौधों में विशेष तौर पर गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा इत्यादि का रोपण किया जाएगा। सभी वैज्ञानिक आयुर्वेद के क्षेत्र में और भी ज्यादा काम करने के संकल्प के साथ ऊर्जा से परिपूर्ण होकर लौटे।

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