Friday, March 29, 2024
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खास खबर : दून की डा.सुमिता प्रभाकर ने 3 घंटे में निकाली 15 रसोली ‘ऑपरेशन कर बचाई जान’

देहरादून, राज्य में चल रहे कोरोना संक्रमण के भय से कई महिलाएं अस्पताल में जाने से डर रही है जिससे उन्हें गंभीर स्वास्थ समस्याओं का सामना कर पड़ रहा है। ऐसे ही एक मामला आज सामने आया जब देहरादून की जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.सुमिता प्रभाकर ने कुछ ऐसा कारनामा कर दिया कि मुंह से बरबस शाबाशी के साथ हमें उन पर गर्व महसूस हो रहा है।

बता दे कि देहरादून के सीएमआई अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.सुमिता प्रभाकर ने एक कम उम्र की युवती की रसौली का सफल ऑपरेशन कर 1 या 2 नहीं बल्कि छोटी बड़ी 15 रसोली (fibroid) निकाली है। डॉ सुमिता ने बताया कुछ दिन पहले ही उनके पास 26 वर्ष की युवती बहुत ही गंभीर हालत में आई थी, महिला को ब्लीडिंग और पेट में दर्द की शिकायत थी ।

जांच के बाद पता चला की महिला के पेट में रसोली है जिसके बाद महिला की स्थिति को देखते हुए सर्जरी ही सही इलाज का विकल्प था, लेकिन महिला की कम उम्र को देखते हुए गर्भाशय को बचाना भी ज़रुरी था ऐसे में मायोमेक्टमी सर्जरी की गयी जिसमे सिर्फ रसौली को ही निकला जाता है । ऐसे में कोरोना जांच के बाद महिला की सर्जरी शुरू की गयी जिसमे डॉ सुमिता की देखरेख में तीन घंटे लम्बे चले ऑपरेशन के बाद महिला के पेट से कुल 15 छोटी बड़ी रसोली सफलता पूर्वक निकाली गयी। अब महिला एकदम स्वस्थ्य है। डॉ सुमिता कहना है कि यदि समय पर रसोली का सही उपचार कराया जाए तो आपरेशन किए बगैर दवाओं से भी रसोली को खत्म किया जा सकता है।

वही डॉ0 प्रभाकर ने बताया की यह यह एक कम उम्र की पेशेंट है और अभी आने वाले समय में गर्भवती होने में कोई समस्या न आये इसके लिए सर्जरी के समय गर्भाशय बचाना बहुत महत्वपूर्ण था। डॉ सुमिता ने फाइब्रॉएड को हटाने के लिए मायोमेक्टोमी नाम की सर्जरी की जिसमे सिर्फ रसौली (फाइब्रॉएड) को निकाला गया। लड़की का गर्भाशय पूरी तरह से ठीक है और उसको भविष्य में माँ बनाने में कोई समस्या नहीं आएगी।

जाने क्यों, छोटी उम्र में ही महिलाओं को हो रही है रसौली की समस्या ….??

डॉ सुमिता प्रभाकर बताती है कि आजकल के समय में बिजी लाइफस्टाइल के चलते महिलाओं में रसौली की समस्याएं काफी हो रही हैं। रसौली को FIBROIDS भी कहा जाता है । पहले 40 वर्ष या इससे अधिक उम्र की महिलाओं में रसोली की समस्या होती थी, लेकिन अब ये 20-22 वर्ष की महिलाओं में भी होने लगी है और वर्तमान में 20 प्रतिशत महिलाएं इससे पीड़ित है। यह महिलाओं में होने वाले सबसे आम ट्यूमर हैं ।

जाने क्या है कारण ….??

इसका मुख्य कारण प्रदूषण, हारमोन्स, खानपान में मिलावट, सब्ज़ियों में अनावश्यक वृद्धि इंजेक्शन, डेरी उत्पाद में मिलावट, रहन सहन में बदलाव, स्वास्थ संबंधी निवारक जांच को गम्भीरता से न लेना इत्यादि हो सकता है। यदि सही समय पर रसोली का इलाज कराया जाए तो बिना आपरेशन के दवाओं से भी इसे खत्म किया जा सकता है। इससे महिलाओं को बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए, क्योकि हर रसोली का इलाज आपरेशन नहीं है।

अब जाने क्या है रसौली के लक्षण…..??

रसौली के कारण पीरियड्स के समय क्लोटिंग बहुत अधिक बढ़ सकती है। यानी ब्लीडिंग के साथ रक्त के थक्के आना। पेट के निचले हिस्से में बहुत अधिक दर्द होना और ब्लीडिंग अधिक होना। पेट के निचले हिस्से में भारीपन लगना और इंटरकोर्स के वक्त दर्द होना। बार-बार यूरिन पास होना और वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज होना।
हर समय वीकनेस रहना, पैरों में दर्द होना और कब्ज की शिकायत रहना।

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