Tuesday, April 23, 2024
HomeNationalआत्मनिर्भर भारत : कोरोना में छूटी नौकरी तो अंतर्वर्ती खेती को बनाया...

आत्मनिर्भर भारत : कोरोना में छूटी नौकरी तो अंतर्वर्ती खेती को बनाया समृद्धि का आधार

बेगूसराय,। कोरोना के कारण लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत और लोकल फॉर वोकल के मंत्र का जबरदस्त असर दिखने लगा है। मंत्र का असर है कि नौकरी छिन जाने वाले युवा आत्महत्या नहीं कर नवसृजन शुरू कर चुके हैं। अब उनकी चाहत नौकरी करने की नहीं, नौकरी देने की बन गई है। दिन भर इधर-उधर घूमने वाले युवक अब आत्मनिर्भर बनने के लिए खेतों में ना केवल पसीना बहा रहे हैं, बल्कि परंपरागत खेती से अलग हटकर नई-नई चीजों का उत्पादन और अंतर्वर्ती खेती कर रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान बेगूसराय में दो सौ एकड़ से अधिक में सिंघापुरी केला की खेती शुरू हुई है। केला के साथ-साथ पपीता भी लगाया गया ताकि दो चक्रीय फसल पद्धति के तहत अधिक से अधिक उपज लेकर आय में वृद्धि की जा सके। इसके लिए युवा दिनभर खेतों में पसीना बहाने के साथ-साथ उत्पाद को खुद से बाजार में पहुंचा रहे हैं। जब आय हो रही है तो उनके साथ-साथ आसपास के युवा भी इस ओर प्रेरित हो रहे हैं। ऐसे ही दो युवा से मुलाकात हुई नावकोठी और समस्या के बीच दोनों केला और पपीता की खेती कर रहे हैं।

राम कुमार ने बताया कि उसके किसान पिता की आर्थिक स्थिति कभी दुरुस्त नहीं रही। इसके बावजूद उन्होंने कर्जा-पैंचा लेकर 2018 में इंजीनियरिंग करवाया। इंजीनियरिंग फाइनल होने पर कुछ दिन तक नौकरी के लिए इधर-उधर भटकते रहे, 2019 के जून में फरीदाबाद के एक फैक्ट्री में उसे नौकरी मिल गई। लेकिन मार्च में लॉकडाउन होने के बाद जब फैक्ट्री बंद हो गई तो वे घर आ गए। घर पर भी कोई काम नहीं था, दिन भर बेरोजगार बैठे रहते थे। थक हारकर उसने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में नई तरीके से खेती करने का निर्णय लिया। उसके इलाके में बड़े पैमाने पर केला की खेती होती है, उसने भी अपने पिता को मनाया और एक बीघा में केला लगा दिया, साथ में पपीता भी लगाया है।

जब तक केला का पेड़ फलने लायक होगा, तब तक पपीता अच्छी खासी रकम दे देगा। अब उसे कहीं नौकरी करने नहीं जाना है, अपने गांव में रहकर आत्मनिर्भर बनना है, अपनी जमीन है उसी पर नये तकनीक से खेती कर अपने परिवार को आर्थिक रूप से समृद्ध करेगा। वह इंजीनियर बन कर भले ही अपने पिता का पूरा नहीं कर सका। लेकिन प्रधानमंत्री के मूल मंत्र से प्रेरित होकर नई तकनीक से खेती के सहारे पिता के अरमान को जरूर पूरा करेगा।

केला और पपीता की ही अंतर्वर्ती खेती शुरू करने वाले युवक विपिन ने बताया कि इंटर पास करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। संगत खराब हो गई, जिसके कारण दिन भर ताश खेलना, इधर-उधर घूमना और क्रिकेट खेलना हमारी आदत में शुमार हो गया। पिताजी अकेले दिनभर खेतों में लगे रहते थे, मां उन्हें खाना पहुंचाया करती थी, लेकिन मुझे इतनी भी फुर्सत नहीं थी। लॉकडाउन के बाद कोरोना के कारण जब लोगों ने एक दूसरे से मिलना कम कर दिया तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और अब अपने पिता के साथ खेतों में पसीना बहा रहा है। एक बीघे में केला और पपीता की खेती शुरू की है। फिलहाल अपने इलाके के किसानों से केला और पपीता लेकर बेगूसराय बाजार तक पहुंचाता है, जिससे धीरे-धीरे उसके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर रही है।

विपिन ने बताया कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री ने लगातार है अपने मन की बात और विभिन्न संदेशों में आत्मनिर्भर होने की बात कही। देश के विभिन्न हिस्सों में किसान द्वारा किए जा रहे नए-नए प्रयोग की बात कही तो, उसके मन में भी एक नई आशा जगी और उसी को आत्मसात कर अपने परिवार को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर कर रहा है। उसका परिवार और गांव जब आत्मनिर्भर होगा तो बिहार भी आत्मनिर्भर होगा और बिहार की आत्मनिर्भरता से ही भारत की आत्मनिर्भरता संभव है। बेगूसराय में ऐसी कहानी सिर्फ दो लड़कों की नहीं है, कई युवाओं ने कोरोना काल में अपनी जिंदगी को गुमराह होने से बचाया है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments