Friday, March 29, 2024
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रुद्रपुर : दो बेटों की मौत पर परिजनों का अस्पताल में हंगामा, एंबुलेंस चालक का सिर फटा

रुद्रपुर, शहर के एक निजी अस्पताल में हादसे के बाद घायल दो सगे भाइयों की मौत से आक्रोशित परिजनों और रिश्तेदारों ने हंगामा कर अस्पताल का गेट बंद कर दिया। आक्रोशित लोगों ने एंबुलेंस का शीशा तोड़ दिया। तोड़फोड़ में एंबुलेंस चालक का सिर फट गया। पुलिस ने लोगों को काबू करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया।

सिरसा फार्म, बहेड़ी निवासी दो भाइयों बलवीर सिंह (22) और हरजिंदर सिंह (18) पुत्र महेंद्र सिंह की बाइक को 25 सितंबर को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी। हादसे में गंभीर रूप से घायल दोनों भाइयों को इलाज के लिए मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन कुछ घंटों के बाद हरजिंदर की मौत हो गई थी। इसके बाद शुक्रवार सुबह इलाज के दौरान बड़े भाई बलवीर की भी मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही भड़के परिजनों और रिश्तेदारों ने अस्पताल परिसर में हंगामा करते हुए गेट बंद कर दिया।
मृतक भाईयों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर 10 लाख रुपये लेने और लापरवाही का आरोप लगाया कि उनके दूसरे बेटे की भी पहले ही मौत हो चुकी थी लेकिन डॉक्टर बिल बढ़ाने के लिए उसे जिंदा बताते रहे।

हंगामे की सूचना मिलने पर एसपी सिटी देवेंद्र पिंचा, सीओ अमित कुमार, कोतवाल एनएन पंत ने फोर्स के साथ मौके पर पहुंचकर परिजनों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। मामला शांत होने के बाद बलवीर के शव को लेकर पोस्टमार्टम हाउस जा रही एंबुलेंस पर कुछ लोगों ने पत्थर मारकर इसके शीशे तोड़ दिए।

इस दौरान एंबुलेंस चालक नवीन भी घायल हो गया। इसके बाद पुलिस ने लाठियां फटकारते हुए लोगों को शांत कराया। कोतवाल ने बताया कि परिजनों को इलाज के बिल को लेकर आपत्ति थी। इस कारण उन्होंने अस्पताल में हंगामा किया। परिजनों को 30 हजार रुपये वापस कराने के बाद पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।

दोनों भाइयों को बेहद गंभीर हालत में इलाज के लिए लाया गया था। एक भाई की मौत कुछ घंटों बाद ही हो गई थी, जबकि दूसरे की मौत शुक्रवार सुबह हुई। मृत्यु के बाद भी जिंदा बताकर रुपये लेने और इलाज के नाम पर 10 लाख रुपये लेने के आरोप निराधार हैं। शुक्रवार को दम तोड़ने वाले युवक के इलाज का एक लाख 47 हजार रुपये का बिल था। परिजनों से एक लाख 25 हजार रुपये ही लिए गए थे। उसमें से भी 30 हजार रुपये वापस कर दिए गए थे। कुछ लोगों ने साजिशन अस्पताल में हंगामा कराया था। – राहुल चंद, निदेशक, मेडिसिटी अस्पताल

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