Saturday, April 20, 2024
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गरीब व मजदूर लोगों के लिए मसीहा थी मदर टेरेसा: शिवकुमार

हरिद्वार 17 अक्टूबर (कुल भूषण शर्मा) मदर टेरेसा का नाम सुनते ही श्वेत वस्त्र धारण किए एक शान्ति की प्रतिमूर्ति का चित्र सहजता से हम सभी के जहन मे उतर जाता है। दुनिया में असहाय एवं पीडित जनों के दुखः से दुखी होने वाली, उनके कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहने वाली शक्सियत, ममता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा सही अर्थो में गरीबों के दुखः को अन्तकरण से अनुभव करने वाली एक दिव्य आत्म शक्ति थी। गुरूकुल कांगडी (समविश्वविद्यालय) के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ0 शिवकुमार चैहान का कहना है कि मदर टेरेसा जैसी दिव्य आत्मा सैकडों वर्षो में कोई विरला ही पैदा होती है जो गरीब एवं असहाय लोगों के लिए मसीहा बनकर आती है।

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को का जन्म आन्येजे गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्त्मान सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ली। मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। अपने जीवनकाल में 45 वर्षो तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की मदद के साथ मिशनरीज ऑफ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। जिन्हें बाद में रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया है,

सन् 1970 तक मदर टेरेसा गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं। मदर टेरेसा का कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गॉड में उल्लेख किया गया। मदर टेरेसा को 17 अक्टूबर सन् 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और सन् 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थीं।

इसमें एचआईवी एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं तथा घर शामिल रहे। साथ ही सूप, रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी बनाये गये। मदर टेरसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। दिल का दौरा पडने के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टेरेसा की मृत्यु हुई थी। मदर टेरेसा ने देश-दुनिया को शान्ति के प्रति प्रेरित करते हुए गरीब, असहाय एवं पीडित अनाथ बच्चों एवं उनके परिवार के प्रति संवेदना एवं सहायता के नये आयाम स्थापित किए। शान्ति की वह अद्वितीय प्रतिमूर्ति अपनी दिव्यता से आज भी हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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