Friday, April 19, 2024
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19वें दिन भी जारी है किसान आंदोलन :10 संगठनों ने कृषि कानूनों का किया समर्थन, सरकार थोड़ी राहत

नई दिल्ली, किसान 19 वें दिन भी आंदोलन पर डटे रहे, अब लगता है कि केंद्र की ओर से पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग के साथ किसानों का आंदोलन तेज होता देख सरकार की तरफ से समाधान निकाले जाने को लेकर कोशिशें जारी है | परन्तु 19 दिन से जारी किसान आंदोलन से मोदी सरकार को थोड़ी राहत मिली और 10 संगठनों ने कृषि कानूनों का समर्थन किया है | किसानों का आंदोलन 19वें दिन भी जारी रहा।

इस बीच विभिन्न राज्यों के 10 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को किसान हितैषी बता दिया। इन संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और अपना समर्थन पत्र सौंपा। इससे पहले हरियाणा और उत्तराखंड के किसानों का प्रतिनिधिमंडल भी कृषि मंत्री से मिल चुका है। रविवार को उत्तराखंड के 100 से ज्यादा किसानों का प्रतिनिधिमंडल तोमर से मिला और उनसे आग्रह किया कि इन किसान हितैषी कानूनों को निरस्त नहीं किया जाए। उधर, आंदोलनकारी किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने से कम पर सुलह करने को राजी ही नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा जैसे राज्यों के 10 किसान संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। ऑल इंडिया किसान को-ऑर्डिनेशन कमिटी (AIKCC) के बैनर तले इन किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के तीनों नए कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि तीनों कानून किसानों के हित में हैं और इन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए। मीटिंग के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार से ऑल इंडिया किसान को-ऑर्डनेशन कमिटी के सदस्य आए थे। उन्होंने कृषि कानूनों का समर्थन किया और इस बारे में हमें एक चिट्ठी दी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने यह किसानों के कल्याण के लिए किया है और वो उसका स्वागत एवं समर्थन करते हैं।”

सरकार एक-एक क्लाउज पर बातचीत को तैयार : तोमर

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। तोमर ने कहा, “बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है। किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं। उन्होंने कहा, “हमने किसानों और किसान नेताओं को मनाने का प्रयास किया। हमारी इच्छा है कि वे प्रत्येक खंड पर बातचीत करने के लिए आएं। अगर वे हर खंड पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए तैयार हैं तो हम विचार-विमर्श के लिए तैयार हैं,
प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं। इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं। केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई पांच दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। सरकार ने किसान संघों को एक मसौदा प्रस्ताव उनके विचारार्थ भेजा है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को जारी रखने का लिखित आश्वासन भी है, लेकिन किसान यूनियनों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और कानूनों को निरस्त करने की मांग की है। तोमर ने कहा कि ये कानून किसानों की जिंदगी बदलने वाले हैं और इन कानूनों के पीछे सरकार की नीति और मंशा स्पष्ट है।

शाह और तोमर की मुलाकात

उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी मांगों और संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठक की। चूंकि किसानों का आंदोलन 19वें दिन भी जारी रहा, दोनों मंत्रियों ने विरोध प्रदर्शन को जल्द से जल्द समाप्त करने के लिए उनकी मांगों को हल करने के तरीकों पर चर्चा की। जल्द समाधान किए जाने की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि किसानों के आंदोलन से दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों की प्रमुख सड़कें बाधित होने के कारण विभिन्न जरूरी चीजों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही आमजन के आवामगन पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।

सूत्रों ने कहा कि शाह के 6, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास पर हुई बैठक में दोनों ने देशभर के किसानों और उनके नेताओं से संपर्क के बाद गतिरोध को दूर करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई है। लगभग 40 मिनट की बैठक में दोनों नेताओं ने कथित तौर पर उन 32 किसान प्रतिनिधियों के साथ फिर से संपर्क करने के विचार पर चर्चा की, जिन्होंने अब तक केंद्र के साथ पांच दौर की वार्ता की है। रविवार को शाह ने अपने आवास पर तोमर की उपस्थिति में पंजाब भाजपा नेताओं के साथ भी किसानों के मुद्दों पर चर्चा की। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी बैठक में मौजूद रहे।

आंदोलन के 19वें दिन किसानों की भूख-हड़ताल

किसान नेताओं ने सोमवार को अलग-अलग जगहों पर एक दिवसीय भूख हड़ताल शुरू की और तीनों कृषि कानूनों को वापस करने के लिए केंद्र से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिलने की स्थिति में विभिन्न राज्यों में जिला कलेक्ट्रेट/उपायुक्तों के कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन किया। किसान संगठन कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 का विरोध कर रहे हैं और इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार इसके बजाय कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है, मगर कानूनों को वापस लेने के लिए राजी नहीं है।

किसान नेताओं की सीबीआई जांच की मांग

कठपुतली के साथ प्रदर्शन दुष्यंत चौटाला के बदले सुर
हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कृषि मंत्री और गृह मंत्री लगातार किसानों की मांग के ऊपर चर्चा कर रहे हैं। हमें उम्मीद है जल्द ही किसानों के आंदोलन पर निर्णय आएगा। समाधान चर्चा से निकलेगा अड़ने से नहीं। छोटे मामलों पर बातें अटकी है उसपर केंद्र भी झुकने को तैयार है मगर किसान संगठन के लोग किसानी का फायदा देखते हुए, अपनी ओर से जरूर एक कदम वापस लें। जो गतिरोध बन गया है उससे किसानी का नुकसान न करें किसानी का फायदा करें।

आप नेता भगवंत मान ने कहा -‘बहुत शर्म की बात है कि केंद्र सरकार ने किसानों की जायज मांगों को मानने के लिए अड़ियल रवैया अपनाया हुआ है और पूरे देश का पेट पालने वाला आज खुद भूखे रहने पर मजबूर है। पूरी दुनिया में इसकी(आंदोलन) चर्चा हो रही है, अब ये जन आंदोलन बन गया है | दूसरी तरफ सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि कृषि मंत्री को पता नहीं है कि कौन किसान है। इस तरह के कृषि मंत्री कैसे हो गए। किसान अपने ट्रैक्टर लेकर आ रहें है। ट्रैक्टर किसके पास होता है? किसानों के पास। वे आ रहें है, लंगर लगा रहे हैं, अपना विरोध जता रहे हैं, उनकी मांग जायज है |

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