देहरादून, राज्य के मुखिया अब सख्ती के मूड में आ चुके हैं, उसकी वजह है उत्तराखंड सचिवालय फाइलों पर कार्यवाही की सुस्त रफ्तार को लेकर हमेशा से चर्चाओं में रहा है। राज्य गठन से अब तक ऐसे तमाम मौके हैं जब राजनेताओं ने फाइलों की सुस्त रफ्तार पर नाराजगी जाहिर न की हो। लेकिन वहीं ढाक के तीन पात, इसमें खास सुधार आता हुआ नहीं दिखाई दिया। बीते दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां आदेश होने के 14 महीने तक एक फाइल लटकी रही। मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को हुई, तो उनके आदेश पर लोक निर्माण विभाग के एक अनुभाग के अनुभाग अधिकारी से लेकर कंप्यूटर आपरेटर तक को हटा दिया गया। यह मामला संज्ञान में आने के बाद फाइलों पर होने वाली कार्यवाही की स्थिति जांचने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने स्वयं उठा ली है। फाइलों के मामले में राज्य सचिवालय का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सचिवालय की कार्य प्रणाली पर अपनी व्यथा जाहिर की थी कि उनकी फाइलों की जलेबी बना दी जाती है। हालांकि उन्होंने भी ई आफिस से इस समस्या का इलाज कराने की ठानी थी। लेकिन ई आफिस शुरू नहीं हो सका।
बेवजह फाइलें डंप करने के मामले में मुख्यमंत्री कड़ा रुख
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सचिवालय में फाइलों को लेकर मैंने सभी सचिवों की बैठक बुलाई है। इसमें उनके अनुभागों की फाइलों के बारे में जानकारी ली जाएगी। जिन अनुभागों में बिना किसी कारण के फाइलों को लंबे समय तक लटकाने के मामले में मिलेंगे, उनमें निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी। सचिवालय पूरे प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था का केंद्र है। हमने ई आफिस शुरू किया है। इसे जल्द से जल्द सभी अनुभागों से जोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि अक्सर नीतियों व योजनाओं की फाइलें इन विभागों के मंत्रालयों व अनुभागों में फंस कर रह जाती है। जिन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है और आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सचिवालय में फाइलों पर कार्यवाही की सुस्त रफ्तार से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नाराज हैं। वह अब शासन के सभी सचिवों से उनके विभागों से जुड़े अनुभागों की फाइलों का हिसाब लेने जा रहे हैं। जिन अनुभागों में फाइलों पर कार्यवाही का रिकॉर्ड खराब होगा, वहां तैनात कार्मिकों को बदलने का अभियान चलेगा।
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