देहरादून : उत्तराखंड में किरायेदारी क्षेत्र को एक औपचारिक बाजार के रूप में संतुलित और न्याय संगत बनाने के लिए सरकार जल्द ही आदर्श किरायेदारी अधिनियम (एमटीए) लागू करेगी।
राज्य सरकार ने केंद्र के आदर्श किरायेदारी अधिनियम को अपनाया है। शहरी विकास विभाग की ओर से इस एक्ट पर 31 अक्तूबर तक लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी गई हैं।
मकान मालिक व किरायेदारों के बीच आपसी झगड़ों को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने आदर्श किरायेदारी एक्ट तैयार किया है। मकान मालिक व किरायेदार के बीच लिखित रूप से अनुबंध होगा और सहमति से ही किराया तय किया जाएगा।
एक्ट में मकान की पुताई से लेकर बिजली की वायरिंग, स्विच बोर्ड, पानी का नल ठीक करने आदि के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गई है। इससे मकान मालिक व किरायेदार के बीच किसी तरह का विवाद नहीं रहेगा।
अधिनियम लागू होने के बाद मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। किराये से संबंधित विवाद व शिकायतें सिविल न्यायालय में दायर नहीं होंगे। इसे मामलों की किराया प्राधिकरण व न्यायालय में सुनवाई की जाएगी।
शहरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक कमलेश मेहता का कहना है कि एमटीए एक्ट को निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। कोई भी व्यक्ति एक्ट पर 31 अक्तूबर तक सुझाव व आपत्तियां ई-मेल से भेज सकता है।
औपचारिक और कानूनी सुरक्षा से बढ़ेगा किराया बाजार
सरकार का मानना है कि अधिक किराया लेने के बावजूद गुुणवत्ता में कमी देखने को मिल रही है, वहीं अधिक किराया होने के चलते किरायेदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एक्ट किराया बाजार को बढ़ावा देगा। इस एक्ट में आवासीय व व्यावसायिक, दोनों तरह के भवन आएंगे।
आदर्श किरायेदारी एक्ट रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए आने वाले प्रवासियों, पेशेवर कामगारों, छात्रों व समाज के अन्य लोगों को किराये के लिए पर्याप्त आवास उपलब्ध कराने में समक्ष होगा।
प्रदेश ने केंद्र के एमटीए एक्ट को अपनाया है। यह एक्ट गुणवत्तापूर्ण किराया आवास उपलब्ध कराने के साथ ही आवास बाजार को विकसित करेगा। – शैलेश बगोली, सचिव, शहरी विकास
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