Thursday, April 25, 2024
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Amazon के दस्‍तावेजों से बड़ा खुलासा! भारतीय नियामकों को चकमा देने के लिए बनाई गई थी गोपनीय रणनीति

नई दिल्‍ली. अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के कुछ ऐसे दस्‍तावेज सामने (Amazon Documents Revealed) आए हैं, जिनमें लिखी बातें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government), देश के छोटे-बड़े खुदरा कारोबारियों (Indian Retailers), बड़ी स्‍थानीय कंपनियों और उद्योग जगत (Industries) को नागवार गुजर सकती हैं. रॉयटर्स की ओर से सामने आए इन दस्‍तावेजों के मुताबिक, अमेजन की वेबसाइट के जरिये भारत में होने वाली कुल ऑनलाइन बिक्री (Online Sales) का दो-तिहाई हिस्‍सा उसके महज 35 सेलर्स के हाथों में सिमटा हुआ है,

जबकि कंपनी दावा करती है कि उसके साथ 7,00,000 से ज्‍यादा भारतीय विक्रेता (Indian Sellers) जुड़े हुए हैं और उन्‍हें उसकी बदौलत बड़ा फायदा मिल रहा है. अमेजन के दस्‍तावेजों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में भी कुछ बातें कही गई हैं. दस्‍तावेजों में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ना तो बुद्धिजीवी (Intellectual) हैं और ना ही बहुत एकेडमिक व्‍यक्ति (Academic) हैं. उन्‍हें लगता है कि केवल मजबूत शासन-प्रशासन (Governance & Administration) के जरिये सफल सरकार (Successful Government) चलाई जा सकती है. पीएम मोदी को साधारण, तार्किक और सीधी सोच के लिए जाना जाता है. वो बहुत भारी-भारकम एकेडमिक शब्‍दजाल में नहीं फंसना चाहते. रॉयटर को इस पर पीएम मोदी के कार्यालय और वाणिज्‍य व उद्योग मंत्रालय की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.

एफडीआई नियमों से खतरे में पड़ गया था अमेजन का कारोबारअमेजन के सीनियर एग्जिक्‍यूटिव जे. कार्नी 2019 की शुरुआत एक बैठक के लिए तैयारी कर रहे थे. पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में उनके प्रेस सचिव रहे कार्नी को वाशिंगटन में अमेरिका के लिए भारतीय राजदूत के साथ बातचीत करनी थी. भारत सरकार ने उसी दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को लेकर नए और सख्‍त नियमों की घोषणा की थी. दरअसल, नए नियमों से दुनिया की दूसरी सबसे ज्‍यादा वाले देश में विश्‍व की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के कारोबार पर खतरा मंडराने लगा था. बैठक के लिए जाने से पहले अमेजन के कर्मचारियों ने कार्नी को एक नोट तैयार करके दिया था.

कार्नी को बताया, क्‍या बोलना है और किस पर रहना है खामोश
कार्नी के दिए गए नोट में बताया गया था कि भारतीय राजदूत के सामने उन्हें क्या बोलना है और किस पर खामोशी बनाए रखनी है. नोट में उनसे कहा गया था, ‘भारतीय राजनयकि के सामने उन्‍हें कहना है कि अमेजन ने भारत में 5.5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है और 4,00,000 से ज्‍यादा भारतीय विक्रेताओं को एक ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है.’ साथ ही उन्हें यह बात छुपाने को कहा गया था कि वेबसाइट के जरिये होने वाली आनलॉइन वस्तुओं में करीब एक तिहाई चीजें अमेजन के सिर्फ 33 विक्रेताओं ने बेची हैं. नोट में इस जानकारी को अति-संवेदनशील और साझा नहीं करने योग्य बताया गया था.

4 लाख में सिर्फ 35 विक्रेताओं ने की दो-तिहाई ऑनलाइन बिक्री
अमेजन के दूसरे दस्तावेजों में भी ऐसी ही संवेदनशील जानकारी सामने आई है. इनके मुताबिक, अमेजन की भारतीय वेबसाइट पर 2 अन्‍य विक्रेताओं की 2019 की शुरुआत में ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म पर होने वाली कुल बिक्री में 35 फीसदी हिस्सेदारी थी. इन विक्रेताओं में अमेजन की सीधी इक्विटी हिस्सेदारी है. इसका मतलब है कि अमेजन के भारत में चार लाख दुकानदारों में से सिर्फ 35 विक्रेताओं की ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म की कुल ऑनलाइन बिक्री में दो-तिहाई हिस्सेदारी रही है. यह पूरी जानकारी राजनीतिक रूप से काफी अहम थी. अगर यह जानकारी सामने आ जाती तो भारत के उन छोटे-बड़े विक्रेताओं को राहत मिल सकती थी, जो आरोप लगाते रहे हैं कि अमेजन नियमों का उल्लंघन कर कुछ बड़े विक्रेताओं को फायदा पहुंचा रही है और उनके व्यापार को नुकसान पहुंचा रही है.

झूठे साबित हुए अमेजन के छोटे कारोबारियों के बारे में किए दावे
ई-कॉमर्स कंपनी के दस्‍तावेजों की ये जानकारी अगर सामने आ जाती तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी खफा हो सकते थे, क्‍योंकि उनके वोटबैंक में बड़ी हिस्‍सेदारी इन लाखों छोटे-बड़े दुकानदारों की है. यही नहीं, अमेजन की यह बात भी झूठी साबित हो जाती कि कंपनी भारत में छोटे दुकानदारों (Small Traders) और कारोबारियों को साथ लेकर आगे बढ़ रही है. रॉयटर्स की रिपार्ट के मुताबिक, कार्नी और भारतीय राजनयिक के बीच अप्रैल 2019 में हुई बातचीत का ब्‍योरा सामने नहीं आ पाया है. दरअसल, दोनों ही पक्षों ने इसे लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की थी.

सीसीआई कर रहा है अमेजन और फ्लिपकार्ट की जांच
अमेजन का दावा है कि कंपनी पारदर्शी ऑनलाइन मार्केट चलाती है. साथ ही दुनियाभर के विक्रेताओं के साथ समान व्यवहार करती है. हालांकि, अमेजन के सामने आए दस्तावेज ना सिर्फ दूसरी ही कहानी बयां कर रहे हैं, बल्कि उसके ऐसे सभी दावों को झूठा साबित कर रहे हैं. दस्तावेजों से पता चला है कि कंपनी ने कुछ बड़े विक्रेताओं की सूची पर अपना नियंत्रण भी रखा है. बता दें कि जनवरी 2020 में भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग (CCI) ने कहा था कि वह अमेजन और फ्लिपकार्ट की जांच कर रहा है. यह जांच एक भारतीय कारोबारी समूह की शिकायत पर शुरू की गई थी.

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