Wednesday, April 24, 2024
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एक सरल व कुशल राजनेता के रूप में सदैव याद किये जायेगेे अटल बिहारी बाजपेयी: डा0 चौहान

हरिद्वार 16 अगस्त (कुल भूषण शर्मा) भारत के इतिहास मे 16 अगस्त की तारीख न भूले जाने वाली तारीख के रूप मे दर्ज हो गई है। जिसका सम्बंध अटल बिहारी वाजपेयी जैसे एक सरल एवं कुशल राजनेता के रूप में सदैव यादगार बनी रहेगी। अटल बिहारी वाजपेयी भारत की राजनीति में एक ऐसा नाम जिसके उच्चारण मात्र से सादगी, सालिनता, सभ्यता, समर्पण एवं सदभाव का अनूठा एहसास स्वतः ही अनुभव होने लगता है। शब्द की जादूगरी एवं भावों में निसछलता को राजनीति मे समाहित करने का श्रेय अटल बिहारी  वाजपेयी को जाता है। वाजपेयी अपनी सधी विचारधारा एवं काव्य शैली से अपने धुर विरोधियों के दिल मे भी एक विशेष स्थान रखते थे। यह विचार गुरूकुल कंागडी विष्वविद्यालय के असि0 प्रोफेसर डा0 षिव कुमार चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी बाजपेयी की पुण्य तिथि पर उन्हे श्रृद्वासुमन अर्पित करते हुए व्यक्त किये उन्होने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की बातें और विचार सदैव तर्कपूर्ण होते थे ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी  का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ। अटलजी के पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे। । अटल बिहारी वाजपेयी मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे।अटल बिहारी वाजपेयीजी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से पहचाने जाने वाले विक्टोरिया कॉलेज में हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
अटल बिहारी वाजपेयीजी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे।  उन्होने  अपने जीवन में पत्रकार के रूप में भी काम किया और लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।  og  भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्हे लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ।  og  सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा पहुंचे।  वह   1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ की ओर से संसदीय दल के नेता रहे। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा मधुर संबंध रहे। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजयश्री के साथ बांग्लादेश को आजाद कराकर पाक के 93 हजार सैनिकों को घुटनों के बल भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण करवाने वाली देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधीजी को अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया था और 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था।
अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते हुए पूरे विश्व में भारत की छवि बनाईं और विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। अटलजी 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे। 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन अटलजी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे। सन् 1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन 13 महीने बाद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गई लेकिन इसी बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया।
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 दलों से गठबंधन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इन पांच वर्षों में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश में प्रगति के अनेक आयाम छुए और राजग सरकार ने गरीबों किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू कीं।अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना आरम्भ की और दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया।
mUgs देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सन् 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। किसी के सामने हार नहीं मानने वाला और काल के कपाल पर लिखने-मिटाने वाली कविता का भाव अटल जी के   विराट व्यक्तित्व का द्योतक है। भारत माॅ का यह अनूठा सपूत आज हमारे बीच नही है लेकिन उनकी छवि एवं काव्य रचनाये आने वाली पीढीयों का सदियों तक मार्ग-दर्शन करती रहेगी।

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