Wednesday, April 24, 2024
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अल्मोड़ा : देशभक्ति गीतों की स्वरलहरियों के बीच पहुंची सेना की स्वर्णिम विजय मशाल, गवाह बना सोमनाथ मैदान

रानीखेत (अल्मोड़ा)। देशभक्ति गीतों की स्वरलहरियों के बीच यहां पहुंची सेना की स्वर्णिम विजय मशाल का कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र के मुख्यालय में भव्य स्वागत हुआ। अल्मोड़ा से सीधे मशाल यहां रिजांग्ला मैदान पहुंची। यहां लास्ट माइल रन(एक मील की दौड़) के साथ ऐतिहासिक सोमनाथ मैदान में केआरसी कमांडेंट ब्रिगेडियर आईएस साम्याल के नेतृत्व में अधिकारियों ने मशाल संभाली और युद्ध स्मारक पर उसे स्थापित कर शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित किए। स्मारक पर कमांडेंट, संयुक्त मजिस्ट्रेट, पूर्व सैनिकों ने शहीदों की शहादत को याद किया। इस दौरान भारत माता की जय के नारों के साथ पूरा वातावरण गूंज उठा।

रिजांग्ला मैदान में कर्नल मनीष कुमार सहित तमाम अधिकारियों ने विजय मशाल का स्वागत किया। यहां लास्ट माइल रन का आयोजन किया गया। इसके बाद मशाल को वाहनों के काफिलों के साथ केआरसी के ऐतिहासिक सोमनाथ मैदान लाया गया, जहां विजय मशाल का कमांडेंट ब्रिगेडियर आईएस साम्याल के नेतृत्व में भव्य स्वागत हुआ। युद्ध स्मारक पर मशाल को स्थापित किया गया। यहां सबसे पहले पूर्व सैनिक पूर्व सूबेदार मेजर जगदीश चंद्रा, संयुक्त मजिस्ट्रेट अपूर्वा पांडेय और पूर्व सैनिकों के बाद कमांडेंट आईएस सामयाल, डिप्टी कमांडेंट कर्नल सुनील कटारिया ने शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित किए।

रानीखेत : वीर नारी सम्मान समारोह, छह वीरांगनाओं को किया सम्मानित

रानीखेत (अल्मोड़ा)। दीवान सिंह हाल में आयोजित वीर नारी सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए केआरसी कमांडेंट ब्रिगेडियर आईएस साम्याल ने कहा कि भारतीय सेना के अदम्य साहस के चलते ही 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक और ऐतिहासिक जीत मिली थी। यह जीत सभी के लिए प्रेरणादायक है। इस युद्ध में न केवल पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, वरन बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र का उदय भी हुआ। विजय मशाल का उद्देश्य यही है कि वीर जांबाजों के अदम्य साहस को नहीं भुलाया जा सकता और वीर नारियों का सम्मान भी होता रहे।

पूरे देश के लिए प्रेरणादायक रही 1971 की ऐतिहासिक जीत

यहां मुख्य अतिथि वरिष्ठ गौरव सेनानी पूर्व कर्नल अशोक सूरी ने कई वीरांगनाओं को सम्मानित किया। कमांडेंट साम्याल ने कहा कि 1971 के युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट ने भी झंडे गाड़े। इस युद्ध में रेजीमेंट को आठ वीर चक्र, 17 सेना चक्र मिले। उन्होंने कहा कि उस युद्ध में भाग लेने वाले कई पूर्व सैनिक कार्यक्रम में मौजूद हैं। देश के प्रति उनकी भावना को नमन करते हैं। इससे पूर्व हॉल में 1971 के युद्ध से जुड़ी वीडियो क्लिपिंग दिखाई गई, जिसे देख पूर्व सैनिकों की युद्ध की यादें ताजा हो गईं।नारी सम्मान बिना कैसे होंगी माता रानी खुश
-ये वीर नारियां हुई सम्मानित
-दुर्गा देवी पत्नी स्व. सूबेदार पान सिंह, पिलखोली
-दुर्गा देवी पत्नी स्व. कैप्टन केसर सिंह, खनियां
-लीला देवी पत्नी स्व. उदय सिंह, पिलखोली
-दुर्गा देवी पत्नी नायक किशन सिंह, एरोड़
-बसंती देवी पत्नी स्व. नासू खीम सिंह, चिलियानौला
-तुलसी देवी पत्नी स्व. हवलदार हरी दत्त पांडेय, पन्याली

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