Friday, April 26, 2024
HomeTrending Nowशशि थरूर की नयी पुस्तक ‘‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’’ का विमोचन

शशि थरूर की नयी पुस्तक ‘‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’’ का विमोचन

देहरादून । शशि थरूर की नयी पुस्तक ‘‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’’ को प्रभा खेतान फाउंडेशन की तरफ से ऑनलाइन सत्र ‘किताब’ के समारोह में लॉन्च किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि हामिद अंसारी देश के पूर्व उपराष्ट्रपति, फारूक अब्दुल्ला, डेविड डेविडर, पवन के वर्मा, मकरंद परांजपे मौजूद थे। लेखक शशि थरूर ने इस समारोह में पुस्तक लिखने के लिए अपनी प्रेरणा को विस्तृत रूप से समारोह में शामिल सम्मानीय अतिथियों के समक्ष साझा किया।

एलेफ बुक कंपनी के संयुक्त तत्वाधान में प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में एहसास की तरफ से महिला सुश्री अप्रा कुच्छल ने इसे लांन्च किया और पत्रकार करण थापर द्वारा पूरे कार्यक्रम को संचालित किया गया। इस वेब इवेंट में भारत के वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर प्रकाश डालती शशि थरूर की 22वीं पुस्तक के बारे में चर्चा और आलोचनात्मक मूल्यांकन के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में अतिथि शामिल हुए। सभी मेहमानों ने शशि थरूर की नवीनतम पुस्तक और भारत से संबंधित कई मुद्दों पर गंभीर बहस को गति देने को लेकर इस पुस्तक की काफी सराहना की।

मुख्य अतिथि हामिद अंसारी ने जीवंत चर्चाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, इसमें एकग्र भारत के विचार के लिए एक भावुक दलील को शामिल किया गया है, इसमें पहले की उन विचारधाराओं जो अब लुप्तप्राय है इसके जरिये कल्पनाशील मानदंडों पर प्रकाश डालने की कोशिश की गयी हैं। मुझे इसमें देशभक्ति पर निबंध विशेष रूप से ज्ञानवर्धक लगे।

किताब के प्रकाशक एलेफ बुक कंपनी के डेविड डेविडर ने कहा, मुझे उम्मीद है कि हर भारतीय इस किताब को अवश्य पढ़ेगा। यह पुस्तक दुर्लभतम-दुर्लभ ‘अपरिहार्य’ श्रेणी में आती है-ऐसी पुस्तकें जिनके बिना आप काम नहीं कर सकते।

शशि थरूर ने इस पुस्तक को कलमबद्ध करने से जुड़े कारणों के बारे में बताते हुए कहा, इस पुस्तक में राष्ट्रवाद और देशभक्ति के मुद्दों पर जीवनभर के विचारों, पठन और तर्कों की पराकाष्ठा को शामिल किया गया है जो केवल सैद्धांतिक या अकादमिक नहीं हैं, बल्कि गहन रूप से व्यक्तिगत भी हैं। यह पुस्तक आज के भारत में विशिष्टता के खिलाफ दुनिया में राष्ट्रीयता की समझ की ओर एक पर्यवेक्षक का नोट प्रस्तुत करती है।

थरूर अपनी किताब में कहते हैं कि देशभक्ति और राष्ट्रवाद अलग हैं। एक देशभक्त अपने देश के लिए मरने को तैयार है जबकि एक राष्ट्रवादी अपने देश के लिए मारने को तैयार है। किताब वेब कार्यक्रम में शामिल कुछ लाइव पैनलिस्ट इस अंतर से सहमत नहीं थे, वे इसे बौद्धिक उत्थान कहते रहे हैं।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments